HINDI NOTES

 6. निंदक नेड़ा राखिये, आँगनि कुटी बनाय।

 

बिन साबण पानी बिना, निर्मल करे सुभाय।।**

 

भावार्थ:

जो आपकी निंदा करता है, उसे अपने पास ही रखें, क्योंकि वह बिना साबुन और पानी के ही आपके स्वभाव को शुद्ध कर देता है।

 

 

 

 

7. पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया  कोय।

 

ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।।**

 

भावार्थ:

सारा संसार ग्रंथों को पढ़कर भी मर गया (सच्चा ज्ञान नहीं मिला), लेकिन कोई भी सच्चा पंडित नहीं बन पाया। जो ढाई अक्षर 'प्रेम' के सही अर्थ में समझ लेता है, वही सच्चा ज्ञानी (पंडित) है।

 

 

8. हम घर जाल्या आपणा, लिया मुराड़ा हाथ।

 

अब घर जालौं तास का, जे चले हमारे साथ।।**

 

भावार्थ:

मैंने पहले अपने घर (अहंकार, मोह) को जला दिया, अब हाथ में जलता हुआ मशाल है, अब मैं उनके घर जलाऊँगा जो मेरे साथ चलना चाहते हैं (अर्थात, जो सत्य के मार्ग पर चलना चाहते हैं उन्हें भी मोह से मुक्त करूंगा)

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